February 22, 2025

मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र द्वारा “परीक्षा की तैयारी” विषय पर एक दिवसीय जीवन कौशल सत्र का आयोजन

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Life Skill Workshop-Exam Stress by Aneesha didi-2 January 2022
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New Delhi News, 07 Jan 2022: विद्यार्थी जीवन, जीवन का सुनहरा काल होता है। कुछ सीखने, कुछ जानने, कुछ बनने का सतत सार्थक प्रयास इसी समय में होता है। इन्हीं दिनों श्रेष्ठ विचार, सद्भावनाओं एवं सद्प्रवृत्तियों का अभ्यास किया जाता रहे तो उसका प्रभाव जीवन भर बना रहता है। सही मायनों में विद्यार्थी जीवन साधना एवं तपस्या का जीवन है जिसमें पग-पग पर उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। मार्गदर्शन ऐसा होना चाहिए जिसमें करियर विकल्प के साथ जीवन की दिशा को भी सही मार्ग पर ले जाने के अवसर मिल जाएं। जब देश की भावी पीढ़ी की बात हो तो ऐसे में हम अक्सर उन बच्चों को भूल जाते हैं जिनका बचपन और भविष्य दोनों ही अभावग्रस्तता में कहीं खो चुका है। किंतु मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र (SVK), दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (DJJS) के सामाजिक प्रकल्प के रूप में, देश के इन्हीं अभावग्रस्त बच्चों को निःशुल्क एवं मूल्याधारित शिक्षा प्रदान कर उनके बचपन को संवारने में संलग्न है। छात्रों में शैक्षिक उत्कृष्टता प्राप्त
करने और नैतिक मूल्यों को विकसित करने के साथ-साथ मंथन उनके मानसिक और बौद्धिक विकास पर भी ज़ोर देता है। इसी हेतु समय-समय पर उनके लिए "करियर परामर्श सत्र" का आयोजन कर उनके भविष्य और जीवन को सही राह दिखाने में भी मंथन-SVK हरसंभव प्रयासरत है। इसी कड़ी को जारी रखते हुए मंथन-SVK द्वारा 1 जनवरी 2022 को छात्रों के लिए & quot;परीक्षा की तैयारी-एक जीवन कौशल कार्यशाला” का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता DJJS की प्रचारिका साध्वी अनीशा भारती जी ने की। कार्यशाला में 50 से अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहे। मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक प्रदर्शन के बीच एक स्पष्ट संबंध है। इसी आधार पर साध्वी जी द्वारा जीवन कौशल संवाद सत्र प्रारंभ किया गया। मनोरम दृश्यों के साथ प्रभावी प्रस्तुति ने छात्रों को यह समझने में मदद की कि लक्ष्योन्मुखी और तनावमुक्त कैसे रहें। परीक्षाओं के लिए कैसे तैयारी करें, इसके लिए उन्होंने कुछ मुख्य एवं कारगर बिंदुओं पर प्रकाश डाला, जैसे रोज़ाना अध्ययन करने की आदत बनाएं, समय सारणी के अनुसार पढें। इसके साथ उन्होंने छात्रों को आत्म-प्रेरित रहने, स्वस्थ आहार लेने आदि के लिए भी प्रेरित किया।

अंत में साध्वी जी ने दिमाग को सक्रिय रखने और एकाग्रता बढ़ाने हेतु प्राणायाम और कुछ वैदिक मुद्राएं सिखाई। साथ ही उन्होंने समझाया कि आज हम सभी जैसे भी हैं अपने विचारों का ही परिणाम है । हम जो सोचते हैं वैसे ही हम बन जाते हैं । इसलिए हमें अपने विचारों को ध्यान के द्वारा नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए । साध्वी जी ने बच्चों से  “ओम भूर्भुवः स्वः” का उच्चारण करते हुए ध्यान भी कराया और इसके हमारे दिमाग पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे में भी प्रकाश डाला।

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