New Delhi, 17 अगस्त 2020 : भारत के बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम और युवा उद्यमियों का समर्थन करने के लिए रितेश अग्रवाल देश के टिअर 1, 2 और 3 शहरों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सलाहकार की भूमिका निभाएंगे और देश के सबसे बड़े इन्क्यूबेटर वेंचर कैटालिस्ट्स (वीकैट्स) के साथ मिलकर काम करेंगे। तेजी से बढ़ते हुए इकोसिस्टम, भारत को, जो दुनिया में सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते हुए इकोसिस्टम में से एक है, ज़्यादा से ज़्यादा अनुभवी और सफ़ल लोगों की ज़रूरत है जो आगे आकर एक-दूसरे की मदद कर सकें और साथ मिलकर इकोसिस्टम को आगे बढ़ाते हुए देश को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाएं। रितेश देश और अपने साथ उद्यमियों का समर्थन करने के लिए इस दिशा में काम कर रहे हैं, जिसमें उनके साथ डॉ. अपूर्व शर्मा भी हैं, जो उन शुरुआती लोगों में से हैं, जिन्होंने रितेश के विज़न का तब समर्थन किया था, जब उन्होंने 2012 में ओरावेल स्टेस शुरू किया था, और 2013 में ओयो स्थापित किया था।
एक उद्यमी के रूप में, उड़ीसा के रायगडा के रहने वाले, रितेश ने कम उम्र में अपना सफ़र शुरू किया था और उन्हें उस ज़रूरी सलाह और मार्गदर्शन के महत्व का एहसास है, जिसकी ज़रूरत युवाओं और शुरुआती स्तर के संस्थापकों को पड़ती है। उन्हें यह याद है कि ओयो के निरंतर विकास और विस्तार को संभव बनाने में, कैसे स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के विभिन्न लोगों ने बेहद महत्वपूर्ण और कार्यनीतिक भूमिका निभाई है। उनका मानना है कि एक स्टार्ट-अप को अपने शुरुआती दिनों में विभिन्न स्तरों पर समर्थन की ज़रूरत पड़ती है। जबकि संस्थापकों के लिए सही नज़रिया, ध्यान, दृढ़ता और धैर्य रखना बेहद ज़रूरी है, इसके साथ डॉ. अपूर्व जैसे लोगों की भूमिका भी खास है, जिन्होंने उनका समर्थन किया, मार्गदर्शन किया और दिशा दिखाई। उनका मानना है कि यही सफलता की कुंजी है।
रितेश अग्रवाल ने इस नई साझेदारी पर टिप्पणी की, “मैंने बहुत छोटी उम्र में ओयो की शुरुआत की थी, ऐसे समय में जब इकोसिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था। मैं काफी भाग्यशाली था कि मुझे डॉ. अपूर्व, बेजुल सोमाया और कई अन्य जैसे बेहतरीन मार्गदर्शक मिले, जिन्होंने मेरे स्टार्ट-अप की यात्रा में मेरा मार्गदर्शन किया और समर्थन दिया। आज कई पूर्व ओयोप्रेन्योर ने अपने नए वेंचर शुरू किए और वह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। अब जबकि मैंने खुद को एक उद्यमी के रूप में स्थापित कर लिया है, तो मुझे लगता है कि समाज को वापस देने का समय आ गया है।”
19 साल की उम्र में ”20 अंडर 20” थिएल फ़ेलोशिप के लिए चुने जाने वाले, रितेश ने आगे कहा, “वीकैट्स के साथ यह साझेदारी करके, मैं भारत के छोटे शहरों से आने वाले युवा उद्यमियों को सक्षम बनाना चाहता हूं, जिन्हें बड़े शहरों या महानगरों में रहने वाले उनके साथियों जैसे समान अवसर नहीं मिलते हैं। मुझे भरोसा है कि हम टिअर 3 या 4 शहरों से अगला बड़ा आइडिया खोज पाएंगे।” वह यह प्रतिष्ठित फैलोशिप पाने वाले पहले एशियाई निवासी थे, जिसे 20 साल से कम उम्र के उद्यमियों के अभिनव विचारों का समर्थन करने के लिए प्रसिद्ध वेंचर कैपिटालिस्ट पीटर थिएल ने स्थापित किया था।
वेंचर कैटालिस्ट्स के संस्थापक डॉ. अपूर्व रंजन शर्मा ने टिप्पणी की, “हम रितेश के साथ साझेदारी करके रोमांचित हैं। वह फिलहाल एमडीआई यूनिवर्सिटी के बोर्ड में शामिल हैं और थिएल फेलोशिप पाने वाले पहले भारतीय रहे हैं, जो उनके संपूर्ण सफ़र को दर्शाती है। मैं एक शुरुआती समर्थक था, और भारत में विद्यार्थियों और युवा संस्थापकों का समर्थन करने के प्रति उनके समर्पण को देखकर वाकई काफी खुश हूं। रितेश का अनुभव उद्यमियों के लिए काफी मूल्यवान साबित होगा, जिसके साथ ही हम भारत के सभी टिअर 1,2,3 और 4 शहरों में मौजूद स्टार्टअप्स के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की अपनी योजना पर अमल करना जारी रखेंगे। उनका अनुभव आने वाले ऐसे कई उद्यमियों के लिए मददगार साबित होगा, जो अगला यूनिकॉर्न बनने की क्षमता तो रखते हैं लेकिन उनके पास सही समर्थन और मार्गदर्शन की कमी है।”
इन्क्यूबेशन में पीएचडी करने वाले डॉ. शर्मा 2000 के बाद से भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के संस्थापकों में से एक हैं। उन्होंने देश में इन्क्यूबेशन की अवधारणा को आगे बढ़ाया है और 2015 में वीकैट्स शुरू करने से पहले एक दर्जन से अधिक इनक्यूबेटर और एसेलरेटर स्थापित किए हैं।