इंसानों जैसी समझ-बूझ वाली रोबोट है अलिटा : रोजा सालाजार

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New Delhi News, 02 Feb 2019 : हॉलीवुड फिल्म ’टाइटैनिक’ और ’अवतार’ जैसी शानदार फिल्मों का निर्माण करने वाले फिल्ममेकर जेम्स कैमरून एक बार फिर से बड़े परदे पर धमाल मचाने आ रहे हैं। इन दिनों कैमरून एवं डायरेक्टर-राइटर रॉबर्ट रॉड्रिग्ज की अपकमिंग फिल्म ’अलिटा : बेटल एंजेल’ काफी चर्चा में हैं। हाल ही में इस फिल्म ट्रेलर रिलीज हुआ है। दमदार एक्शन से भरपूर जेम्स कैमरून की यह फिल्म जापानी एनिमिटिड सीरीज ’युकिटो किशिरो’ का रिमेक है। बात करें ’अलिटा : बेटल एंजेल’ को इसकी कहानी एक ऐसी महिला रोबोट, यानी अलिटा नाम की सायबोर्ग की है, जो कचरे में मिलती है, लेकिन जिसके अंदर इंसानों जैसी समझ-बूझ और भावना होती है। कहानी में डॉक्टर का किरदार निभा रहे क्रिस्टोफ वॉल्ट्ज उसे अस्तित्व में लाते हैं। जब अलिटा होश में आती है, तो वह अपने अतीत के बारे में भूल चुकी होती है। जिस दुनिया में वह है, उसके बारे में भी वह कुछ नहीं जानती है। बस, डॉक्टर उसे उसके अतीत से बचाने की कोशिश करता है, तो वहीं कुछ लोगों को अलिटा से खतरा है और वह उसे खत्म करने की कोशिश में जुट जाते हैं। अलिटा के रोल में रोजा सालाजार के अलावा अन्य भूमिकाओं में जेनिफर कॉनेली, मेहरशला अली, जैकी अर्ले हेले और कीन जॉनसन हैं। पेश है, रोजा सालाजार से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

आप ‘अलिटा में कैसे शामिल हुईं?

मैंने पहली बार साल 2015 के दिसंबर महीने में अपने एजेंट से इसके बारे में सुना था, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं था। लेकिन, संयोग से मुझे इस फिल्म में शामिल होने के लिए बुलाया गया। चूंकि, मैं जेम्स कैमरून और इस फिल्म के राइटर-डायरेक्टर रॉबर्ट रॉड्रिग्ज़, दोनों की बहुत बड़ी प्रशंसक हूं, इसलिए सोचा कि यह बहुत बड़ा मौका है, जब मुझे इसके लिए ऑडिशन देने का अवसर मिलेगा! मैंने ऑडिशन दिया, लेकिन मुझे तीन-चार महीने तक कुछ नहीं बताया गया। बाद में मुझे फोन आया कि रॉबर्ट ने मुझे पसंद किया है और वे मुझसे मिलना चाहते हैं। मैं रॉबर्ट के साथ पहली बार मिली, लेकिन घबरा रही थी। फिर मैं रॉबर्ट के साथ दूसरी मुलाकात के लिए आई और दूसरा ऑडिशन दिया, जो वास्तव में शानदार रहा। एक महीने बाद मुझे लीड भूमिका के लिए चुन लिया गया है।

आपके अपने शब्दों में, ह्यूगो कौन है और वह कहानी में कैसे फिट बैठता है?

ह्यूगो का एक बच्चा है, जो आयरन सिटी से अलग हो गया था और उसके बाद उसने सीखा कि कैसे नए माहौल में खुद को अनुकूल बनाना है, वास्तव में वहां कैसे पनपना है। लेकिन वह जो करना चाहता है, उस सबसे बाहर निकल जाता है। आखिरकार जब वह अलिटा से मिलता है, तो यह जगह उसके लिए दिलचस्प हो जाती है। अलिटा उसे यह जानने में मदद करती है कि वह कौन है या वह क्या बनना चाहता है। वह ऐसा है, जिसने बहुत छोटी उम्र से सीखा है कि कोई भी उसे कुछ भी सौंपने वाला नहीं है और उसे खुद ही सब कुछ हासिल करना होगा।

क्या आपको पहले से कहानी और किरदार के बारे में बता दिया गया था?

मुझे पहले ऑडिशन के लिए फिल्म के बारे में कुछ भी नहीं पता था। मुझे पता नहीं था कि किस सामग्री स्रोत को देखना है। मुझे यह भी पता नहीं था कि अलिटा क्या होगी। जब मुझे भूमिका मिली, मैंने यूट्यूब पर एनीमेशन देखा। मुझे कुछ पुस्तकें भी मिलीं, क्योंकि मैं वास्तव में इसे गंभरता से जानना चाहती था कि यह अनोखी दुनिया कैसी दिखती है। और, आज मैं विशेष रूप से आयरन सिटी के सेट डिजाइन से प्यार करती हूं। रॉबर्ट वास्तव में इसे बहुसंस्कृति के रूप में संभव बनाना चाहते थे, और इसे बनाया भी।

क्या आप इतने सारे स्पेशल इफेक्ट्स के साथ काम करने के अनुकूल थीं?

मुझे लगता है कि हमारे पास जो सबसे अच्छी चीज थी, वह थी विजुअल इफेक्ट्स कलाकारों की अद्भुत टीम थी, जो पहले ही वे अपने रेखाचित्रों के माध्यम से बता देते थे कि हम इस दृश्य को शूट करने वाले हैं।यह इस तरह का है और आगे कैसा दिखेगा। बस, इससे आगे का दृश्य जानने में सहूलियत होता थी किये चीजें कितनी ऊंची हैं और वे दाहिनी ओर या बाईं ओर झपटेंगे।

एक निर्देशक के रूप में रॉबर्ट कैसे थे?

रॉबर्ट हमेशा मेरे सवालों के जवाब देने के लिए तत्पर रहते थे और बताते थे कि वे कैसे कुछ शूट करेंगे या वह इन फिल्मों को बनाने की रचनात्मक प्रक्रिया कैसे शुरू करेंगे। हालांकि, शुरू में रॉबर्ट मेरे पास नहीं आ रहे थे, जिससे मुझे लगा कि ‘आखिर क्या चल रहा है? क्या मैं बहुत बुरा कर रही हूं?’ लेकिन बाद में वह दिन में एक-दो बार मेरे पास आने लगे। न केवल दृश्य, बल्कि मेरे पूरा चरित्र की व्याख्या करते थे। इसीलिए, मुझे लगता है कि बहुत से लोग रॉबर्ट के साथ काम करना पसंद करते हैं, क्योंकि वह आपको आपकी बात कहने का मौका देता है और वह दूर से आपको देखता है। वह तभी आपसे कुछ कहेगा, जब उसे सही मायने में कुछ कहने की जरूरत महसूस होगी। वाकई रॉबर्ट असाधारण थे।

 

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