New Delhi news, 01 June 2022 : एक अजेय राष्ट्र के निर्माण में गुरुकुल की भूमिका आवश्यक है। प्राचीन भारत में शिक्षा प्रणाली गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित थी। गुरुकुल शब्द संस्कृत के शब्द गुरु का एक संयोजन है जिसका अर्थ है ‘शिक्षक’ या ‘गुरु’ और कुल का अर्थ है ‘परिवार’ या ‘घर’। शिक्षा की गुरुकुल प्रणाली पवित्र वैदिक ज्ञान के लिए निर्धारित है। वैदिक संस्कृति के गौरव को पुनः स्थापित करने के लिए हमारे पूज्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्ग दर्शन में दिव्य ज्योति वेद मन्दिर की स्थापना की गई।
वैदिक ज्ञान को जन- जन तक पहुँचाने के उद्देश्य के अनुरूप दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारक साध्वी कपिला भारती जी, स्वामी प्रकाशा नंद जी एवं दिव्यज्योति वेद मन्दिर की संयोजिका साध्वी दीपा भारती जी और कार्यकर्ताओं ने आर्य कन्या गुरुकुल, लुधियाना, पंजाब का दौरा किया। टीम ने गुरुकुल के प्रधानाचार्य मोहन लाल कालरा से भेंट की। यह गुरुकुल लुधियाना, पंजाब में एक अनूठा गुरुकुल है जहां युवा कन्याएं पारंपरिक ज्ञान के साथ- साथ वैदिक साहित्य, मंत्रों और यज्ञों आदि को भी सीख रही हैं और अभ्यास कर रही हैं।
गुरुकुल में छात्रों ने वैदिक मंत्रों का जाप किया और भक्ति प्रार्थना की, इसके बाद दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान प्रचार कों और दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के कार्यकर्ताओं के साथ वैदिक यज्ञ भी किया। साध्वी दीपा भारती जी ने वैदिक संस्कृति और इसकी विरासत के महत्व को समझाते हुए छात्रों को संबोधित किया, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि कैसे दिव्य ज्योति वेद मन्दिर गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज के दिव्य मार्ग दर्शन में विश्वभर में संस्कृत भाषा की वैदिक परम्परा के प्रचार और पुन: स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है। प्रधानाचार्य, मोहन लाल कालरा ने दिव्य ज्योति वेद मन्दिर की बहुप्रशंसा की और समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करके दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के प्रयासों की सराहना की।