New Delhi News, 26 Nov 2019 : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का भव्य आयोजन मयूर विहार, फेज-2, दिल्ली में किया जा रहा है। कथा केचतुर्थ दिवस की सभा में सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री वैष्णवी भारती जी ने प्रभु के अवतारवाद के विषय में बताया गया। द्वापर में कंस के अत्याचार को समाप्त करने के लिए प्रभु धरती पर आए। उन्होंने गोकुल वासियों के जीवन को उत्सव बना दिया। कथा के माध्यम से नंद महोत्सव की धूम देखने वाली थी। साध्वी और स्वामीजनों ने मिलकर प्रभु के आने की प्रसन्नता में बधवा गाया। आज गोकुल के उत्सव को देखने का अवसर सभी को प्राप्त हो गया।
साध्वी जी ने झूला झूलते समय प्रभु ने किस प्रकार शकटासुर का उद्धार किया। इस लीला का प्रस्तुतिकरण किया गया। नन्हे कन्हैया की माखन चोरी लीला का वर्णन किया गया। माखन चोरी के पीछे मर्म है- वह यही कि प्रभु समझा रहे हैं कि सात्विक भोजन ग्रहण करो। स्वस्थ मन के लिये सात्विक भोजन का चयन करें ये तो हमारे मनीषियों ने तत्समय ही सिद्ध कर दिया था। भोजन न केवल हमारे स्थूल शरीर को अपितु सूक्ष्म मन को भी प्रभावित करता है। परंतु सोचे जो फल-सब्जियां हम खाते हैं। उन पर तो डेमिनोसाइड केमिकल की परत चढ़ायी जाती है। डाक्टर अनुसार वैक्स कोटिंग वाले फल खाने की वजह से पेट के रोग, लीवर, किडनी में संक्रमण होने की संभावना होती है। वैसे भी आज रासायनिक खाद द्वारा फसल पैदा की जाती है। जिस के सेवन से कैंसर जैसे रोगों में वृद्धि हो रही है। अमेरिका के कृषि विभाग की ओर से बताया गया है कि अमेरिका में रासायनिक खाद के उपयोग से करोड़ों एकड़ भूमि नष्ट हो गयी। यदि धरती स्वस्थ होगी तो उससे उत्पन्न खाद्य पदार्थ भी हमें लाभ देगें। इस लिये लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है। हम वैदिक रीति से जैविक खाद का प्रयोग करें। जिसमें विशेषतः गोमूत्रा एवं गोबर से बनी खाद का प्रयोग किया जाता था। जिससे फसल में पोषक तत्त्व पाये जा सकते हैं। भूमि की उपरी परत बहुत ही नाजुक होती है। जिस कारण उसकी सुरक्षा बहुत ज़रुरी है। इसी परत में पोषक तत्त्वों से भरपूर फसल पैदा करने वाले सूक्ष्म जीव निवास करते हैं। जिस का प्रदूषण के कारण विनाश हो रहा है। यदि ये ठीक न हुआ तो धरती की दशा बिना शरीर वाले शरीर सदृश हो जाएगी। देखने को ध्रा सुंदर और स्वस्थ नज़र आयेगी परंतु उसके भीतर उपजाऊ शक्ति समाप्त हो जाएगी। आज किसान फसल काटने के बाद खेतों में आग लगा देता है। जोकि पक्षी, जीव-जंतुओं के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है। इसलिये जैविक खेती ही एक रास्ता है। जो हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिये उचित है।