मयंक के बुरे वक्‍त में कैसे इंश्‍योरेंस देखो ने उनको आगे बढ़ने में सहायता की

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18 अप्रैल, 2023: भारत की प्रमुख इंश्‍योरटेक इंश्योरेंस देखो देशभर में बीमा उत्‍पादों की तुलना, खरीदी और बिक्री की प्रक्रिया को आसान बनाकर बीमा उद्योग को लोकतांत्रिक बना रही है। इंश्योरेंस देखो बीमा के सेक्‍टर में क्रांति करने के साथ ही कई अवसर भी लेकर आ रही है और अपने फुल-स्‍टैक डिजिटल प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से एडवाइजर पार्टनर्स की जिन्‍दगी बदल रही है। एनसीआर में अभी इसके 10,000+ एडवाइजर पार्टनर्स हैं और यह 2023 के अंत तक अपने पार्टनर्स की संख्‍या 30,000 करने की राह पर बढ़ रही है।

यह मयंक कुमार की कहानी है, जो कॉलेज के दूसरे वर्ष में थे, जब उनके पिता की एक कार दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई थी।

पिता की अचानक हुई मौत से मयंक और उनके परिवार को बड़ा झटका लगा। वह दुखी और हैरान थे और अपने परिवार की बेहतरी के लिये क्‍या किया जाए, इसे लेकर भ्रमित थे। मयंक इस दुविधा में थे कि अपने परिवार की देखभाल करें या अपनी शिक्षा और कॅरियर पर ध्‍यान दें। बड़ा बेटा होने के नाते उन्‍होंने शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी और अपनी माँ तथा छोटे भाई की जिम्‍मेदारी संभालने लगे।

किस्‍मत से, मयंक के पिता का मोटर बीमा था, जिसमें अलग से एक पर्सनल एक्‍सीडेंट कवर भी शामिल था। क्‍लेम के सेटलमेंट के बाद मयंक और उनके परिवार को जो पैसा मिला, उसने सबसे मुश्किल और दु‍ख की घड़ी में उन्‍हें आर्थिक मदद दी। इस आर्थिक सहायता ने बीमा के महत्‍व पर मयंक के विश्‍वास को मजबूती दी और उन्‍होंने अपने रिश्‍तेदारों तथा आस-पड़ोस के लोगों के बीच बीमा के फायदों पर जागरूकता निर्मित करना शुरू किया। मयंक 2018 से एक बीमा एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। इस काम से होने वाली आमदनी से अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सही करने में मयंक को मदद मिली और उन्‍होंने अपना ग्रेजुएशन भी पूरा किया।

इस आमदनी से मयंक ने अपने पिता के ज्‍वैलरी बिजनेस को दोबारा स्‍थापित किया, जिसे अब उनके भाई चलाते हैं। मौजूदा समय में मयंक सक्षमता से अपनी जिम्‍मेदारियाँ संभाल रहे हैं और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

अपने शब्‍दों में, मयंक ने कहा, “मैं दिल्‍ली के एक छोटे-से मोहल्‍ले से आता हूँ, जिसका नाम संगम विहार है। मेरे पिता ने ही मेरा परिचय बीमा की दुनिया से कराया था। उनका अचानक निधन होने के बाद मेरा परिवार टूट सा गया था और कई आर्थिक अनिश्चितताओं से गुजरा। उस वक्‍त जो हमें जो इंश्‍योरेन्‍स क्‍लेम मिला, उस क्‍लेम के पैसेने हमारी कठिन समय गुजारने में हमारी की। मैंने अपने पिता के जूलरी बिजनेस को दोबारा खड़ा किया और सुनिश्चित किया कि मेरा भाई अपनी उच्‍च शिक्षा पूरी करे। आज मैं जब एक पॉलिसी बेचता हूँ, तो मेरा पूरा ध्‍यान ग्राहक की जरूरतों के अनुसार अधिकतम फायदे वाला बेस्‍ट प्‍लान देने पर रहता है। मैं सुनिश्चित करता हूँ कि ग्राहक को पॉलिसी के सभी फीचर्स समझ में आएं, ताकि आकस्मिक स्थिति में उन्‍हें वह सारे फायदे मिल सकें। मेरा मिशन है आम लोगों के बीच बीमा और उसके फायदों पर जागरूकता पैदा करना।”

मयंक ने आगे कहा, “बीमा के सेक्‍टर में मेरी सफलता का कारण है इंश्योरेंस देखो से मिला निरंतर सहयोग और मार्गदर्शन, जिससे इस इंडस्‍ट्री के बारे में मेरी जानकारी काफी बढ़ी। सफल होने में मेरी मदद करने के लिये मैं अपने रिलेशनशिप मैनेजर को सचमुच धन्‍यवाद देना चाहता हूँ। शुरूआती दिनों में वह मेरा आत्‍मविश्‍वास बढ़ाने के लिये कस्‍टमर मीटिंग्‍स में मेरे साथ जाया करते थे। मेरा मानना है कि बीमा की‍ बिक्री सबसे कठिन काम है और बीते वर्षों में मैंने जो विशेषज्ञता हासिल की है, उससे मुझे अपना संवाद कौशल सुधारने और मेरे बीमा उत्‍पाद की जानकारी रखने में मदद मिली है। आज मैं ज्‍यादा पेशेवर तरीके से ग्राहकों को समझा सकता हूँ। इंश्योरेंस देखो की सपोर्ट टीम और यूजर के अनुकूल डिजिटल पोर्टल ने मेरे काम को भी आसान बना दिया है। किसी भी क्‍लेम के लिये कस्‍टमर सपोर्ट टीम हमेशा उपलब्‍ध रहती है और मुझे तथा मेरे ग्राहकों को सहयोग देती है। भविष्‍य में मैंने अपने भाई की मदद से अपने बीमा और ज्‍वैलरी बिजनेसेस को और बढ़ाने की योजना बनाई है।”

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