New Delhi, 07 Aug 2020 : कहते हैं ना जो दूसरो की खुशी के लिए कुछ भी कर देता हैं खुदा का वह फरिशता होता है जिसने भी कहा हैं सही कहा हैं ! मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और काया से औरों की मदद करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शांति और आनंद का अनुभव होता है। वे अपनी आत्मा से ज़्यादा जुड़े हुए महसूस करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है। जबकि स्पर्धा से खुद को और दूसरों को तनाव रहता है। इसके पीछे गुह्य विज्ञान यह है कि जब कोई अपना मन, वचन और काया को दूसरों की सेवा के लिए उपयोग करता है, तब उसे सबकुछ मिल जाता है। उसे सांसारिक सुख-सुविधा की कमी कभी नहीं होती। धर्म की शुरूआत ओब्लाइजिंग नेचर से होती है। जब आप दूसरों के लिए कुछ करते हैं, उसी पल खुशी की शुरुआत हो जाती हैं। ऐसी ही आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो पेशे से मीडियाकर्मी हैं इंडिया न्यूज से लेकर टीवी 100 में काम कर चुकी हैं अभी HNN में अपना काम काफी लगन से कर रही हैं। उस लड़की के नाम की शुरूवात हम एक शायरी से करेंगे जैसे कि हमेशा देखा जाता हैं दूसरो की जिंदगी में जब भी अँधेरा हो जाता हैं। तो वह अपनी रोशनी से उजाला करके उसके अँधकार को खत्म कर देती हैं ! जब कोई व्यक्ति तकलिफ मैं होता हैं तो वह उसकी मदद करके हाथ आगे बढ़ाती हैं ! उस लड़की का नाम हैं चांदनी , ऐसा नाम जो हमेशा से दूसरो की खुशीयो में अपनी खुशी धूंधती हैं यह वह चांदनी हैं जिसके उजाले से सबके घर रोशन हो जाते हैं। इसलिए यह लड़की घर मैं माँ बाप से लेकर भाईयो की लाडली हैं।चांदनी कहती हैं कि इंसान का चेहरा उसके दिल का आईना होता है. जो दिल में है वो चेहरे पर नुमाया हुए बग़ैर नहीं रह पाता और अगर उस चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाए तो कहना ही क्या. उन्होने कहा कि ‘मुस्कुराहट चेहरे का नूर है.’
कभी-कभी इंसान का दर्द भी मुस्कुराहट बन कर चेहरे पर आ जाता है, तो कभी यही मुस्कुराहट किसी की खुशी की वजह बन जाती है. एक बच्चे की मुस्कुराहट हमारी सारी चिंताओं को कुछ पलों के लिए दूर कर देती है और एक आशिक़ के लिए उसके महबूब की मुस्कान क्या होती है इसका एसहास तो सिर्फ उन दोनों को ही हो सकता है।
चांदनी ने कहा कि जीवन में कुछ नहीं बचा था, वह सो भी नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था। मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। इसी बीच एक दिन जब मैं काम से घर आ रही थी तो एक बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया। बाहर बहुत ठंड थी, इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उसके लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया, जिसे वह एकदम सफाचट कर गया। फिर वह मेरे पैरों से लिपट गया। उस दिन बहुत महीनों बाद मैं मुस्कुराई, तब मैंने सोचा यदि इस बिल्ली के बच्चे की सहायता करने से मुझे खुशी मिल सकती है, तो हो दूसरों के लिए कुछ करके मुझे कितनी खुशी और शांति और संतोष मिलेगा। इसके बाद अगले दिन मैं दूसरो कि खुशी के लिए ऐसा करने लगी जिससे दूसरों को खुशी मिले और उन्हें खुश देख कर मुझे बहुत सुख और खुशी मिलती थी।