New Delhi News, 01 Feb 2021 : भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। यह संस्कृति बहु आयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल का विकास हुआ। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी भी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनैतिक क्षेत्र, हर जगह भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है।
परन्तु अज्ञानता वश लोग आज इसे विस्मृत कर पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर नैतिक पतन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अतः समाज के पुनरुत्थान हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का सामाजिक प्रकल्प मंथन- संपूर्ण विकास केन्द्र कटिबद्ध है। यह प्रकल्प देश के अभाव ग्रस्त बच्चों को नि: शुल्क मूल्याधारित शिक्षा प्रदान कर देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मंथनन केवल बच्चों को शिक्षित कर रहा है अपितु उनके मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास में सहायता देकर उनके भविष्य को सुदृढ़ करने का भी प्रयास कर रहा है।
इसी कड़ी में मंथन द्वारा जनवरी माह में भारतीय संस्कृति व सभ्यता से बच्चों को परिचित कराने हेतु विशेष आनलाईन कक्षाओं का आयोजन किया गया जिसमें पूरे देश में विस्तृत मंथन के सभी संपूर्ण विकास केन्द्र के विद्यार्थियों ने अपनी पूर्ण सहभागिता दिखाई। इन कक्षाओं में बच्चों को विविध गतिविधियों के माध्यम से उदात्तभारतीय संस्कृति से अवगत कराया गया। इनमें मुख्य तौर पर भारत का गौरवशाली इतिहास, भौगोलिक संरचना, गुरु-शिष्य परंपरा, वसुधैव कुटुंबकम्जैसे अनेकानेक भारतीय संस्कार, महापुरुषों के अतुलनीय अवदान आदि के विषय में विस्तृत रूप से संज्ञान कराया गया जिससे कि ये बच्चे भी राष्ट्र के विकास में अपने योगदान हेतु प्रोत्साहित हो सकें।
यह सत्र अत्यंत ही ज्ञानवर्धक व आनंददायक रहा। इसके लिए हम मंथन प्रकल्प के प्रेरणा स्तम्भ गुरु देव सर्व श्री आशुतोष महाराज का धन्यवाद करते हैं जिनकी महती अनुकम्पा से मंथन द्वारा समय-समय पर पाठ्यक्रम के अतिरिक्त इन सहगामी सत्रों का भी आयोजन किया जाता है।