भारत, 29 मई 2023: बून, एक IoT-सक्षम वॉटर-टेक ग्लोबल स्टार्टअप, अफ्रीका और मध्य पूर्व क्षेत्रों में अपनी जड़ें स्थापित करने के बाद अब आसियान देशों, जैसे कि थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस, की और अग्रणी है। इस विस्तार का उद्देश्य आसियान क्षेत्र की संवेदनशील पर्यावरण पारिस्थितिकी को समृद्ध व संरक्षित रखना है ताकि क्षेत्रभर में कार्बन नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।
इसी दिशा में “बून” द्वारा थाईलैंड स्थित अंतारा होटल के साथ साझेदारी की गई है जिसके तहत एकल उपयोग प्लास्टिक के निष्कासन के उद्देश्य से कंपनी ने अपने ए-आई आधारित वॉटर प्यूरीफायर “वॉटरक्यूब” को स्थापित किया है।
सिंगापुर स्थित भारतीय स्टार्टप “बून” ने भारत एवं महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए स्वयं को विश्व में सबसे बड़ा कांच के पानी की बोतल का आपूर्तिकर्ता स्थापित किया है, जिसका दावा किया जा रहा है। आसियान क्षेत्र में अपनी विस्तार योजनाओं के लिये “बून” द्वारा 10 मिलियन डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसकी आगामी वर्षों में अनुमानित आय तकरीबन 50 मिलीयन डॉलर है।
आसियान विस्तार पर अपने विचार साझा करते हुए “बून” के संस्थापक डॉ विभा त्रिपाठी कहती है, “बून प्लास्टिक अपशिष्ट के खिलाफ इस वेश्विक संघर्ष में प्रतिबद्ध है। आसियान क्षेत्र की विस्तार योजना इसी दिशा में हमारे बढ़ते कदम को दर्शाता है। जलवायु प्परिवर्तन के विरुद्ध सभी हितधारकों द्वारा कदम उठाने की आवश्यकता है। हम मानते हैं कि यह विस्तार आसियान क्षेत्र में प्लास्टिक को नष्ट करने एवं सतत विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।”
“बून” (पूर्व नाम स्वजल) कई जानी-मानी संस्थाओं के साथ रणनीतिक साझेदारी बना रहा है ताकि उसकी उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी एवं नवाचार समाज के हर वर्ग को लाभ पहुँचा सके। हाल ही में श्रीनगर स्मार्ट सिटी के साथ साझेदारी के अंतर्गत डल झील के पानी की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग की जा रही है। साथ ही ट्रैवल फूड सर्विसेज के साथ मिलकर मुंबई,बेंगलुर, चेन्नई जैसे एयरपोर्ट पर पानी की प्लास्टिक बोतल की जगह कांच की बोतल उपयोग में लाई जा रही है,जिसकी लोगो द्वारा खूब-प्रशंसा की जा रही है एवं इससे जुड़े सकारात्मक फीडबैक प्राप्त हो रहा है।
वर्ष 2015 में यूपी के उन्नाव जिले में यूएन की एक संस्था के साथ मिलकर “बून” द्वारा वाटर एटीएम की शुरुआत की गई थी। इसी कड़ी में भारत में वॉटर एटीएम की स्थापना का श्रेय “बून” को दिया जा सकता है।