शुभ विचारों को ग्रहण कर परमात्मा भक्ति की ओर कदम बढ़ाये : साध्वी आस्था भारती

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New Delhi News : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा12 से 18 सितंबर 2022 तक डीडीए ग्राउंड, ब्लॉक A, बंसल भवन के सामने, पेट्रोल पंप के पीछे, सेक्टर 16, रोहिणी, दिल्ली में ‘श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ’ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री आस्था भारती ने कथा के सप्तम दिवस शास्त्रों के साथ-साथ आधुनिक जगत से अनेकों वैज्ञानिक व तर्क-सम्मत उदाहरण देते हुए आध्यात्मिक सरिता से भक्त हृदयों को सींचा। उन्होंने बताया कि ये पौराणिक कथाएं आज भी मानव जीवन और समाज को सुंदर रूप देने के लिए उत्तम राह दिखाती हैं। मानव हर सुबह नींद से जागता है लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति अज्ञानता की नींद से वह कब जागेगा। 9/11 अमेरिका पर हुआ आतंकी हमला हो या निपाह और corona वायरस हमले जैसी विभीषिकाएं, सुनामी हो या भूकंप- ये सभी warning alarms हैं कि संसार की समस्त विद्या व शक्ति की भी सीमाएं हैं। Medical insurance, Gratuity Schemes, Security systems, Antivirus आदि सुरक्षा कवच हमारे शरीर व भौतिक संसाधनों को बचाने के प्रयास हैं। पर अवश्यम्भावी मृत्यु या Crisis से हमें इनमें से कोई भी नहीं बचा सकता। परीक्षित, अल्फ्रेड नोबेल आदि मृत्यु की परछाई को देखकर जाग गए। अपनी मृत्यु को सजाने व जीवन को सफल-सुंदर बनाने में जुट गए। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है जो जीवन को जीते हुए भी परेशानियों का उत्तम समाधान देती है और जीवन के बाद भी मोक्ष को सुनिश्चित करती है। परमात्मा की भक्ति रूपी सुरक्षा कवच के प्रति हम कब जागरूक होंगे।

साध्वी जी ने बताया कि समाज ईश्वर से जुड़कर शिवत्व की ओर बढ़ता है तथा ईश्वर से विलग हो शवत्व की ओर। जिस प्रकार कुछ ही समय में शव से दुर्गन्ध उत्पन्न होने लगती है,उसी प्रकार जब-जब भी समाज वास्तविक धर्म से दूर होता है तो उसमें भी भ्रष्टाचार, अत्याचार व आतंकवाद इत्यादि दुर्गन्ध उत्पन्न हो जाती है। यदि हम समाज को पुनः स्वस्थ बनाना चाहते हैं तो हमें उसकी हर एक इकाई को वापिस उसके मूल यानि शाश्वत धर्म से जोड़ना होगा। धर्म ही मानव मन की मलिनता को दूर कर व्यक्ति व समाज को सुंदर रूप प्रदान कर सकता है। आपको जानकार हर्ष होगा कि आज गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से उसी सनातन धर्म का दर्शन मानव को प्रदत्त किया जा रहा है और मानव में आमूल-चूल परिवर्तन देखने को भी मिल रहा है।

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सामाजिक प्रकल्प इसकी जीवंत मिसाल हैं। हर वर्ग व उम्र के लिए कार्यरत इन प्रकल्पों ने समाज के नव निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का कथन है- Soul is the subject of experience. Once experienced and your mind becomes tuned to it, no power can stop you from revolutionizing as a whole।भक्त सुदामा, कुब्जा, केवट, सैन नाई के सदृश वर्तमान समाज में भी दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अभूतपूर्व परिवर्तन की ऐसी अनेकों मिसाल कायम की गई हैं।कथा व्यास जी ने अंतिम क्षणों में कहा- मैं अपने श्रोताओं से कहना चाहूँगी कि अच्छे श्रोता बनिए। अच्छा श्रोता वही होता है, जो बातों को सुनता है और उन्हें अपने जीवन में धारण करता हुआ अपने लक्ष्य परमात्मा की ओर बढ़ता है। इसके उपरान्त ही आप परीक्षित की भांति मुक्ति प्राप्ति के अधिकारी बन पाएंगे।

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