नई दिल्ली। रबड़, केमिकल एंड पेट्रोकेमिकल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल द्वारा असम एडमिनिस्ट्रेशन कॉलेज में रबड़ प्लांटेशन के महत्व और इस क्षेत्र में स्किलिंग एवं री-स्किलिंग को लेकर भारतीय रबड़ बोर्ड सहित अन्य हितधारकों के साथ बैठक की गई। जिसमें रबड़ के क्षेत्र में कौशल विकास पर फोकस करने का रोडमैप तैयार किया गया।
बैठक में मौजूद गणमान्य व्यक्तियों ने रबड़ उद्योग की चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। वक्ताओं ने कहा कि रबड़ उद्योग के लिए एक विशाल कार्यबल की आवश्यकता है, लेकिन उनमें से ज्यादातर अकुशल हैं। इंडस्ट्री की क्षमता बढ़ाने के रबड़ प्लांटेशन से लेकर अन्य विधाओं में प्रशिक्षण और स्किलिंग पर फोकस करने की आवश्यकता है।
आरसीपीएसडीसी के प्रबंध निदेशक विनोद टी साइमन ने कहा कि उद्योग में मौजूद कौशल की आवश्यकता एवं स्थिति को समझने के लिए 21 राज्यों में एक अध्ययन किया गया था। इसी के आधार पर आरसीपीएसडीसी ने बड़े पैमाने पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया, जिसके तहत 2015 से प्लांटेशन, टायर और गैर-टायर क्षेत्रों में करीब 1.5 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और यह लगातार जारी है।
रबड़ बोर्ड ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉ. उमेश चंद्रा ने रबड़ प्लांटेशन के महत्व पर जोर दिया और बताया कि यह पर्यावरण के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि रबड़ प्लांटेशन का पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
श्री चंद्रा ने बताया कि रबड़ बोर्ड मुख्यमंत्री समग्र उन्नयन योजना के तहत 3.82 करोड़ की लागत से 9 उत्पादक केंद्र शुरू करेगा। बैठक में मौजूद असम सरकार के मुख्य वन संरक्षक अधिकारी श्री हेम कांता तालुकदार ने उत्पादकों को गैर-वन भूमि में भी रबड़ प्लांट लगाने के लिए प्रोत्साहित करने पर बल दिया। असम कौशल विकास निगम के मिशन निदेशक एम. हनीफ नूरानीने रबड़ क्षेत्र में और अधिक कौशल विकास पर फोकस करने पर बल दिया, ताकि उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर हो सके। बैठक में मौजूद विशेषज्ञों का मानना है कि रबड़प्लांटेशन के क्षेत्र में कौशल विकास कार्यक्रम से लोगों की जीवन शैली में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और उत्पाद की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।