Gurugram News, 06 Jan 2019 : एक अध्ययन के अनुसार, दिल के दौरे की औसत संख्या हर दिन ठंडे तापमान में काफी अधिक होती है। अनुसंधान यह भी बताता है कि ठंडे वातावरण में रहने पर, पहले से ही ऐसी समस्याओं वाले लोगों में दिल की विफलता के जोखिम में चार से पांच गुना वृद्धि हो सकती है। इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है कि असामान्य गैस्ट्रिक समस्याओं, अधिक पसीना बहने, या 15 मिनट से अधिक समय तक दर्द रहने की अनदेखी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ये हृदय की समस्या का संकेत हो सकते हैं, खासकर सर्दियों में।
सर्दियों में हृदय संबंधी बीमारियों के लिए कुछ संभावित जोखिम कारक हार्मोन के प्लाज्मा स्तर में उतार-चढ़ाव, रक्त के थक्के जमना और सूजन के मार्करों में भिन्नता होना है। इस मौसम में ये सब बढ़ जाते हैं और दिल के दौरे का खतरा बढ़ा सकते हैं।
इस बारे में बात करते हुए, डॉ. अरविंद दास, डायरेक्टर एवं हेड, कार्डियोलॉजी, मैक्स हॉस्पिटल, गुडग़ांव ने कहा, सर्दियों के दौरान, हृदय को आंतरिक तापमान को रेगुलेट करने और शरीर की गर्मी को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा, इस मौसम में तापमान में गिरावट से धमनियों में कसाव आता है, जो आगे रक्त प्रवाह को बाधित करता है और हृदय को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम करता है। समय के साथ, इससे दिल का दौरा पड़ सकता है। यह हाइपोथर्मिया के कारण भी हो सकता है, जो असामान्य रूप से शरीर के कम तापमान के कारण दिल की विफलता का कारण बनता है। स्मॉग और प्रदूषण से सीने में संक्रमण से दिल की समस्याओं की संभावना भी बढ़ सकती है। एक अन्य जोखिम कारक मौसमी भावात्मक विकार (एसएडी) है, जो सुस्ती और निष्क्रियता की वजह बनता है। ऐसे लोग जो पहले से ही दिल की बीमारियों के शिकार हैं, उनके लिए यह हालत हानिकारक साबित हो सकती है।
ठंड का मौसम ऐसे बुजुर्गों के लिए सबसे प्रतिकूल है, जिन्हें हृदय की समस्या, मधुमेह या उच्च रक्तचाप की समस्या पहले से ही है। दिल की विफलता एक संभावित जानलेवा स्थिति है, जो सभी अंगों को पर्याप्त रक्त पंप करने की हृदय की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
डॉ. दास ने आगे कहा, सर्दियों के महीनों में दिल पर किसी भी तरह के तनाव से बचना महत्वपूर्ण है। हृदय रोगियों को स्मॉग या प्रदूषण की स्थिति में बाहर नहीं निकलना चाहिए और उन्हें थकाने वाला काम भी नहीं करना चाहिए। दिल के लिए अच्छे भोजन का सेवन के करने के साथ ही अल्कोहल से बचना चाहिए, क्योंकि इससे आर्टीरियल फिब्रिलेशन हो सकता है, जो कि दिल की अनियमित धड़कन की सबसे आम समस्या है जिसे एरिदमिया अथवा अतालता कहा जाता है। हालांकि, किसी की जीवनशैली में ये छोटे-छोटे बदलाव किसी भी ऐसी समस्या को रोकने में मदद कर सकते हैं। अधिक जटिलताओं की हालत में उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
दिल की बीमारियों के लिए कुछ सामान्य उपचार विकल्पों में एंजियोप्लास्टी और कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) शामिल है। एंजियोप्लास्टी के दौरान एक बैलून युक्त कैथेटर को रुकावट वाली कोरोनरी धमनी में डाला जाता है और धमनी को साफ करने और रक्त प्रवाह में सुधार करने के लिए बैलून को फुलाया जाता है। सीएबीजी में, शरीर से एक स्वस्थ धमनी या शिरा को रुकावट वाली कोरोनरी धमनी से जोड़ा या ग्राफ्ट किया जाता है। ग्राफ्टेड धमनी या शिरा कोरोनरी धमनी के अवरुद्ध हिस्से को बायपास करती है। एक अन्य नयी एप्रोच, ट्रांसकैथेटर पेसिंग सिस्टम (टीपीएस) है। एक स्टेंडर्ड पेसमेकर के समान, इसके छोटे, कैप्सूलाइज्ड रूप में लीडलेस पेसमेकर को पैर की एक नस के माध्यम से कैथेटर का उपयोग करके प्रत्यारोपित किया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे कि एक स्टेंट डाला जाता है।
बचाव के लिए इन निवारक उपायों को अपनाया जा सकता है-
• ऐसे पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें, जो हृदय प्रणाली की रक्षा करते हों। ऐसे खाद्य पदार्थों में बेरीज, फ्लैक्स सीड, सूखे मेवा, डार्क चॉकलेट, फलियां, खट्टे फल, टमाटर और सब्जियां शामिल हैं।
• नमक का सेवन कम करें। अधिक होने पर यह शरीर में जमा हो सकता है और हृदय पर भार डाल सकता है।
• जबकि व्यायाम करना महत्वपूर्ण है, दिल की समस्या वाले लोगों को स्थितियां अनुकूल न होने पर, बाहरी गतिविधियों से बचना चाहिए।
उदाहरण के लिए, सुबह की सैर करने के बजाय धूप निकलने पर टहला जा सकता है।
• ब्लड शुगर और बीपी की जांच करवाते रहें और नियमित रूप से उनकी निगरानी करें।
• छाती में संक्रमण से बचें और सर्दियां शुरू होने से पहले पर्याप्त सावधानी बरतें।
• गर्म कपड़े पहन कर ही बाहर निकलें। अपने सिर और मुंह को ढक कर रखें।
• यदि आप संक्रमण के किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श करें और आगे की जटिलताओं से बचने के लिए इलाज करवाएं।