New Delhi : किसी भी स्त्री के लिए एक नई जिंदगी को गर्भ में धारण करने से ज्यादा खुशी कोई नहीं हो सकती है। पर क्या आप जानती हैं कि प्रेगनेंसी से पहले और बाद में आपको गर्भावस्था के दौरान थायराइड कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। थायराइड एक ऐसी बीमारी है जो सबसे ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करती है। थायराइड महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है। आशा आयुर्वेदा की फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर चंचल शर्मा का कहना है कि थायराइड एक ऐसा हार्मोन है जो शरीर के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करता है। थायराइड गर्दन के पास तितली के आकार की एक ग्रंथि है जिससे थायराइड हार्मोन निकलता है। इस हार्मोन का बहुत अधिक उत्पादन हानिकारक है और बहुत कम उत्पादन घातक है। थायराइड हमारे शरीर में एनर्जी के खर्च का संतुलन रखता है। यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करने में भी भूमिका निभाता है।
डॉ. चंचल बताती है कि थायराइड हार्मोन कम हो तो शरीर में कई तरह के फंक्शन स्लो हो जाते हैं। थायराइड हार्मोन में गड़बड़ी के कारण अनियमित पीरियड्स, प्रजनन संबंधी समस्याएं, कंसीव न कर पाना, जोड़ों में दर्द, रूखी त्वचा, पतले बाल, धीमी हृदय गति, अवसाद आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया है कि अगर आप कंसीव नहीं कर पा रही है तो थायराइड में गड़बड़ी के कारण महिलाओं में अंडे के निषेचन में गड़बड़ी आ जाती है। इससे ओवुलेशन समय पर नहीं हो पाता है और ओवरी में सिस्ट बनना शुरू होने लगता है। साथ ही बहुत अधिक थायराइड की गड़बड़ी के कारण दूध निकलने लगता है।
इसके अलावा डॉ. चंचल कहती है कि थायराइड की समस्या के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। अगर गर्भधारण हो भी जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे को किसी तरह की परेशानी होने की संभावना रहती है। बच्चा होने के बाद मां को दिक्कतें आनी शुरू हो सकती हैं। थायराइड की गड़बड़ी होने के कारण मिसकैरिज, समय से पहले डिलीवरी, पोस्टपार्टम हैरमेज का भी जोखिम रहता है।
डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि प्रेगनेंसी के दौरान अगर थायराइड से होने वाली समस्याओं से बचना चाहती हैं, तो यहां पांच उपाय शामिल हैं-
अगर आपको थायराइड है और कंसीव नहीं हो रहा सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर आपके हार्मोंस के स्तर और संतुलित वजन को मॉनिटर करती है। फिर प्रेगनेंसी प्लान करने पर विचार करेंगे। दूसरा समय समय पर थायराइड लेवल की जांच कराती रहें। हर तीन महीने में टीएसएच स्तर की जांच करना जरूरी है। तीसरा थायराइड को मेंटेन करने के लिए संतुलित खाना खाएं। अगर आपको हाइपरथायरायडिज्म है, तो कम आयोडीन वाली डाइट लें। वहीं आपको हाइपोथायरॉयडिज्म है, तो अपने भोजन में सेलेनियम और टायरोसिन की मात्रा को बढ़ाएं। चौथा योग और व्यायाम करें ताकि शरीर स्वस्थ है और मूड भी बढ़िया रहेगा। आखिर में आप थायराइड को नियंत्रित करने और प्रेगनेंसी प्लान करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार का सहारा लें सकते है।
डॉ. चंचल कहती है कि आयुर्वेद औषधि और पंचकर्मा पद्धति के माध्यम से थायराइड को नियंत्रित करने और नेचुरल तरीके से प्रेगनेंसी होना संभव है। स्वस्थ जीवनशैली और पौष्टिक आहार के साथ थायराइड ग्रंथि के कार्यों में सुधार लाया जा सकता है। इसके साथ ही आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से भी थायराइड को कंट्रोल करने और कंसीव करने में मदद मिलती है। डॉ. चंचल का कहना है कि एक डॉक्टर होने के नाते सलाह देती हूं कि आयुर्वेदिक इलाज पर भरोसा रखें। जैसे एलोपैथी साइंस में आईवीएफ एक रास्ता है वैसे ही आयुर्वेद में प्राकृतिक उपचार भी संभव है। इस इलाज की सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी सफलता दर भी एलोपैथी उपचार के मुकाबले ज्यादा है।