New Delhi, 03 Nov 2020 : रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर के माननीय सचिव स्वामी सुपर्णानदजी ने कहा, “मौजूदा प्रतिस्पर्धी माहौल में देवत्व का विकास करना और ‘कर्म ही ईश्वर है’ इस सिद्धांत का ईमानदारी से पालन करना सबसे महत्वपूर्ण है।” उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों को आज यानी 2 नवंबर, 2020 को “सतर्कता जागरुकता सप्ताह” (27 अक्टूबर से 2 नवंबर 2020 तक) के अवसर पर मानव व्यवहार की कमजोरी विषय पर संबोधित किया। स्वामी जी महाराज ने मनुष्य जीवन से जुड़ी कई कमजोरियों को दूर करने के रास्ते दिखाए, जिनमें जीवन को मूल्यवान बनाने के लिए शिक्षा और आध्यामिकता में सामंजस्य, किसी भी स्थिति में मानवता का त्याग न करना, जो हमने जुटाया है उसे बांटना सीखने की जरूरत, व्यवहार में बदलाव लाने के लिए दान-पुण्य को अपनाना तथा ज्ञान के साथ शांति और साहस को आत्मसात करना शामिल है। आज की परिस्थितियों में आध्यामिक मूल्यों और आक्रामकता को संतुलित करना प्रमुख बिंदु है।
स्वामीजी ने कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे समृद्ध भारत के निर्माण के लिए अहंकार का त्याग करें और अपनी ओर से ईमानदार प्रयास करें। उन्होंने कर्मचारियों के बीच जागरुकता लाने के लिए इस तरह के आयोजन के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की सराहना भी की।
इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए यूनियन बैंक के सीईओ श्री राजकिरण राय ने स्वामीजी का स्वागत किया। उन्होंने यह भी कहा कि आध्यात्मिक मूल्य हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, फिर चाहे उसका स्टेटस जो भी हो। उन्होंने यह भी कहा कि व्यावसायिक इकाई होने के नाते बैंकर को व्यवसाय के लिए आक्रामक होना पड़ता है और वर्तमान परिस्थितियों में लालच से दूर रखना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यूनियन बैंक के कर्मचारियों का सौभाग्य है कि उन्हें स्वामीजी से बात करने का मौका मिला है। इस अवसर पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सीवीओ श्री उमेश कुमार सिंह ने कहा कि “आप जितना कम जमा करेंगे, उतना ही आपके लिए बेहतर होगा।” उन्होंने कर्मचारियों को “काम करने से पहले सोचने और काम करने से पहले रुककर निर्णय लेने को कहा” – जो सेल्फ कंट्रोल का शक्तिशाली साधन है।
श्री अमरेंद्र कुमार झा, फील्ड जनरल मैनेजर, कोलकाता ने आभार प्रकट किया।