February 19, 2025

महिलाओं को आत्मविश्वासी एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों में विभिन्न सत्रों का आयोजन

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New Delhi, 03 Sep 2020 : COVID-19 महामारी के कारण आज मानवता विभिन्न सामाजिक आर्थिक व व्यक्तिगत संकटों का सामना कर रही है। ऐसे में शिक्षा क्षेत्र और छात्र भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। शिक्षा की पारंपरिक व्यवस्था के बंद होने पर अब ई-लर्निंग या ऑनलाइन शिक्षण पद्धति प्रचलन में आ चुकी है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सामाजिक प्रकल्प मंथन –‘संपूर्ण विकास केन्द्र ’ प्रकल्प के अंतर्गत दिल्ली में ‘स्याही’नामक 11प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रकाफी लम्बे समय से चलाए जा रहे हैं, जहाँ प्रौढ़ महिलाओं को आधारभूत ज्ञान अर्थात् भाषायी व गणितीय मौलिक सिद्धांत सिखाए जाते हैं ताकि ये दैनिक व्यवहार में कुशल हो सकें।

जैसा की विदित ही है कि वैश्विक महामारी COVID-19 के चलते सभी शैक्षणिक संस्थाएँबंद हैं ऐसे में इन प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों में भी कक्षाएँ नहीं हो सकती थी । अतएव शिक्षा की निरंतरता को बनाये रखने के लिए इस अगस्त माह से ऑनलाइन कक्षाएँ प्रारंभ की गई है। शिक्षक जन विभिन्न तकनीकि मध्यमों से ऑनलाइन शिक्षण सामग्री को इन प्रौढ़ महिलाओं तक पहुँचा रहे हैं। आज के समय में जहाँ Social distancing बचाव का एक महत्वपूर्ण अंग है वहाँ इन कक्षाओं द्वारा ये महिलाएँ घरों में हीं पढ़-लिख रही हैं। इन ऑनलाइन कक्षाओं में मूलतः इन्हें पाँचवीं कक्षा तक के हिन्दी भाषा व गणित की शिक्षा दी जा रही है। इसके अतिरिक्त इन्हें समय–समय पर कुछ परियोजना कार्य भी दिए जा रहे हैं जिनके माध्यम से इनका विषयी ज्ञान सुदृढ़ हो सकेगा। इसके अतिरिक्त इन महिलाओं के लिए Personal Grooming सत्र भी ऑनलाइन माध्यमों से आयोजित किए जा रहे हैं ताकि इनका सर्वांगीण विकास हो सके। इन सत्रों में इन्हें व्यक्तित्व विकास जैसे चिन्तन, स्वस्थ्य व स्वच्छ जीवन शैली, शिष्टाचार, पहनावा तथा विविध कौशलों को सिखाया जा रहा है ताकि ये महिलायें आत्मविश्वासी बन सकें। इसी कड़ी में इन्हें डिजिटल व आर्थिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि ये महिलायें आत्मनिर्भर बन सकें। साथ ही इन्हें जीवन में शिक्षा के महत्व को भी अनुभूत कराया जा रहा है जिससे कि ये स्वयं का संपूर्ण विकास कर सकें। इन कक्षाओं में ये महिलाएँ बढ़–चढ़कर अपनी भागीदारी दिखा रही हैं। कुल मिलाकर ये ऑनलाइन कक्षायें इन प्रौढ़ महिलाओं को मौलिक ज्ञान के साथ साथ उन्हें तकनीकी रूप से भी सशक्त कर रही हैंl

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