New Delhi News, 18 June 2020 : आजकल युवा फिटनेस के लिए आधुनिकतकनीकों को अपनाने लगे हैं। वे एरोबिक्स,जिमनास्टिक, पाइलेट्स, डांस फॉर्म जुम्बा वजिम जाने को प्राथमिकता देते हैं। उनके अनुसार ये साधनउन्हें तेजी से कैलोरी कम करने में, पतला होने में वउनके बेडौल शरीर को सुंदर और सुडौल बनाने में मददकरते हैं। पर पाठकों! यह लेख, आपकोइस सच से अवगत कराएगा कि इन आधुनिक तकनीकोंऔर प्राचीनतम योगासनों के बीच कहीं कोई बराबरी नहींहै। योगासन का नियमित अभ्यास शारीरिक मल व मनके विकार भी नष्ट करता है।
आइए ‘अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस’ के उपलक्ष्य में, जानेंइनके बीच के मुख्य अंतर-
• फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों से केवल बाहरी शरीरमजबूत होता है। शरीर के आंतरिक तंत्र सशक्त नहींबन पाते। पर योगासनों से हमारे स्थूल और सूक्ष्म-दोनों शरीरों पर प्रभाव पड़ता है। शरीर के साथ मनभी पुष्ट होता है।
• फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों जैसे एरोबिक्स, जुम्बाडांस आदि को हर उम्र का व्यक्ति या रोगी नहीं करपाता। वहीं बहुत से ऐसे योगासन हैं, जो हर उम्र केव्यक्ति व रोगी आसानी से कर सकते हैं।
• जिम की मशीनों पर व्यायाम करने से शरीर कीमाँसपेशियों में कड़ापन आ जाता है। वहीं योगासनोंसे शरीर सुडौल और लचीला बना रहता है।
• फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों को अपनाने के बाद व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है। वहीं योगासन करने के बाद शरीर हल्का व स्फूर्तिवान हो जाता है। तरोताज़गी और सुकून का अनुभव करता है।
• फिटनेस के आधुनिक साधनों का प्रयोग करने से शारीरिक और प्राण शक्ति दोनों नष्ट होती हैं। पर योगासन करने से शारीरिक और प्राण शक्ति का संचय होता है।
• फिटनेस की ये नई तकनीकें जब तक तेज़ गति से न की जाएँ,इनका लाभ प्राप्त नहीं होता। इस कारणमाँसपेशियों को नुकसानहोने का खतरा बना रहता है। वहीं आसन धीमी गति से करने परसर्वाधिक लाभ देते हैं और माँसपेशियाँ भी कमज़ोर नहीं होतीं।
• जिम बनाने के लिए अच्छी खासी जगह, धन और उपकरणों कीज़रूरत होती है। पर योगासन के लिए दरी और थोड़ी सी जगहके अलावा किन्हीं बाहरी साधनों की आवश्यकता नहीं होती है।
• जब हम फिट रहने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनातेहैं, तो हमारा मन बाहरी संगीत या मशीन पर केन्द्रित होता है।पर योगासनों के दौरान हमारा ध्यान अपनी श्वासों पर होता है।बहिर्मुखी न होकर, अंतर्मुखी होता है।
• फिटनेस के आधुनिक उपकरणों का प्रयोग करते हुए,हमारीश्वास प्रक्रिया अनियंत्रित हो जाती है। वहीं योगासन श्वास क्रियाको नियंत्रित करते हैं, जिससे फेफड़े मज़बूत होते हैं।
• सेहत की इन आधुनिक तकनीकों से किसी बीमारी का इलाजसंभव नहीं है। पर आसनों से कई लाइलाज रोगों का निदान होतादेखा गया है।
• आधुनिक व्यायाम प्रणालियाँ शरीर के भीतर के विषाक्त पदार्थोंका निष्कासन नहीं कर पातीं। पर आसनों के द्वारा शरीर विषाक्तद्रव्यों को निकालने में सक्षम होता है।
• शरीर का सर्वांगीणव सुनियोजित विकास आसनों से संभव होपाता है; एरोबिक्स या जुम्बा डांस या जिम एक्सरसाइज़ से नहीं।
• आधुनिक व्यायाम तकनीकों का असर हॉर्मोनस्रावित करने वाली ग्रंथियों पर नहीं पड़ता। वहींयोगासन जैसेसर्वांगासन, शीर्षासन आदि इनग्रंथियों पर भी प्रभाव डालते हैं।
• फिटनेस की इन आधुनिक तकनीकों से मुख्यतः माँसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है। वहीं योगासन आंतरिक अंगों को भी स्वस्थ करते हैं।
इन अंतरों को जानने के बाद, आशा करते हैं कि आप सही चुनाव कर पाएँगे कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए कौन सा विकल्प श्रेष्ठ है।