वाशिंगटन। अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि वह भारत में गैर सरकारी संगठनों को करीब 5,00,000 डॉलर की हालिया घोषित आर्थिक मदद के जरिए वहां ‘‘सामाजिक सहिष्णुता में वृद्धि’’ करना और भेदभाव एवं ‘‘धर्म से प्रेरित हिंसा’’को कम करना चाहता है।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने उन संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया कराने की कल घोषणा की थी जो भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करने के विचारों एवं परियोजनाओं के साथ आगे आ सकते हैं। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के लोकतंत्र, मानवाधिकार एवं श्रम ब्यूरो ने अपने नोटिस में कहा था कि वह अपने 4,93,827 डॉलर के कार्यक्रम के जरिए ‘‘भारत में धर्म से प्रेरित भेदभाव एवं हिंसा को कम करना’’ चाहता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस कार्यक्रम का उद्देश्य धर्म से प्रेरित हिंसा एवं भेदभाव को कम करने के लिए नागरिक सुरक्षा में सुधार करना और सामाजिक सहिष्णुता बढ़ाना है। इस रकम से इस दिशा में काम करने वाली गतिविधियों को समर्थन दिया जाएगा।’’ उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए राशि अमेरिका की सरकारी विदेशी सहायता निधि से मुहैया कराई जाएगी।
इस प्रकार के कार्यक्रम के तहत आर्थिक मदद प्राप्त करने वालों के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम कार्यक्रमों को लागू करने वालों के बारे में खुलासा नहीं करते।’’ उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत आर्थिक मदद प्राप्त करने वालों की घोषणा सफल आवेदकों की छंटनी के बाद की जाएगी।
प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्रालय चाहता है कि आवेदन करने वाले संगठन व्यापक हिंसा कम करने के लिए शुरुआती चेतावनी प्रणालियां विकसित एवं लागू करने और अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्यक समूहों के बीच संघर्ष कम करने के कार्यक्रमों को लागू करने समेत अन्य प्रस्तावों के साथ आगे आएं। उन्होंने कहा कि आवेदन में सभी प्रकार के मीडिया का इस्तेमाल करके घृणास्पद एवं भेदभाव पैदा करने वाले संदेशों का मुकाबला सकारात्मक संदेशों से करने वाले सफल कार्यक्रम पेश किए जाएं।
इस बीच विदेश मंत्रालय ने उन परियोजनाओं के लिए आवेदन देने में रुचि रखने संगठनों के लिए आज खुली प्रतियोगिता की घोषणा की जो भारत में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने को समर्थन देते हैं।
ब्यूरो ने कहा कि उसके अनुमान के अनुसार कम से कम एक सफल आवेदक को समर्थन देने के लिए 6,50,000 डॉलर हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह ऐसी परियोजनाएं चाहता है जो पारदर्शिता, जवाबदेही, समावेशिता, अहिंसक जनभागीदारी और अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून के मूल सिद्धांतों को लेकर युवा नेताओं के ज्ञान को मजबूत करें।
इस कार्यक्रम के लिए युवा नेताओं की आयु 18 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए।