February 24, 2025

मानव रचना और AICTE-ATAL अकादमी ने सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर 6 दिन का फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया

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Manav Rachna
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फरीदाबाद, 24 फरवरी 2025: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS) ने ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ट्रेनिंग & लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से “ग्रीनर होराइजन्स: एनर्जी एफिशिएंसी, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन समाधान” विषय पर छह दिन का ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) सफलतापूर्वक आयोजित किया। स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (SET), MRIIRS के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर के 30 से अधिक संस्थानों के शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसमें भारत और विदेश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने वैश्विक दृष्टिकोण साझा किए।

इस FDP ने जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के नवीन समाधानों पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। शिक्षाविदों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने पर्यावरणीय स्थिरता, भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और ऊर्जा दक्षता से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिए।

विशेषज्ञों ने अपने मूल्यवान विचार प्रस्तुत किए। श्री सैयद ज़ीशान अली डी, एडवर्ड एस. मेसन फेलो, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने जलवायु कारकों को मैक्रोइकॉनॉमिक नीतियों में एकीकृत करने पर चर्चा की। प्रो. भरत दहिया, निदेशक, रिसर्च सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इनोवेशन, थाम्मासाट यूनिवर्सिटी, बैंकॉक ने वैश्विक शहरों में जलवायु अनुकूलन और स्थिरता पर अपने विचार साझा किए। डॉ. सपना जादौन, असिस्टेंट प्रोफेसर, यूनिवर्सिडैड डी तारापाका, चिली ने पर्यावरणीय स्थिरता में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा की, जबकि श्री के.पी. सिंह और श्री नरेंद्र कुमार, निदेशक, जियो सॉल्यूशंस, ने जियोस्पेशियल डेटा एनालिटिक्स के व्यावहारिक अनुप्रयोग प्रस्तुत किए। अन्य प्रमुख वक्ताओं में सुश्री सोनिया बहल, निदेशक, कैटेगरी मैनेजमेंट, जेम, वाणिज्य मंत्रालय, डॉ. इहतिराम रज़ा खान, निदेशक एवं शिक्षाविद, जामिया हमदर्द, दिल्ली, और प्रो. (डॉ.) मंदीप कौर, प्रोफेसर, बेनेट यूनिवर्सिटी शामिल थे, जिन्होंने एआई-समर्थित स्मार्ट सिटी ढांचे और जलवायु अनुकूलन पर चर्चा की। डॉ. मुक्ता संधू और डॉ. शुचि वर्मा ने वन प्रबंधन और शहरी योजना में प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स की भूमिका पर विचार साझा किए, जिससे विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके।

सत्रों में जलवायु समाधानों में AI की भूमिका, जलवायु परिवर्तन के लिए प्रेडिक्टिव मॉडलिंग, सतत शहरी विकास और ग्रीन फ्यूल्स के अनुप्रयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया। इंटरएक्टिव चर्चाओं और व्यावहारिक कार्यशालाओं के माध्यम से प्रतिभागियों ने उभरती तकनीकों और सतत विकास पहलों में उनकी भूमिका की गहन समझ प्राप्त की।

MRIIRS के प्रो-वाइस चांसलर और SET, MRIIRS के डीन डॉ. प्रदीप कुमार ने शिक्षा और अनुसंधान में स्थिरता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “जलवायु परिवर्तन और स्थिरता आज के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से हैं। यह कार्यक्रम शिक्षकों को उन्नत ज्ञान और बहु-विषयक उपकरण प्रदान करता है, जिससे वे अपनी शिक्षा और अनुसंधान में स्थिरता की अवधारणाओं को प्रभावी ढंग से एकीकृत कर सकें और हरित भविष्य में योगदान कर सकें।”

डॉ. ममता दहिया, विभागाध्यक्ष, CSE, और डॉ. दीपा बूरा, प्रोफेसर, CSE एवं ATAL FDP समन्वयक ने कार्यक्रम की सत्र-संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे सतत विकास, AI अनुप्रयोगों और जलवायु अनुकूलन पर विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि सुनिश्चित हो सके।

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