किसानों की स्थिति सुधारनी है तो कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाना होगाः चौधरी बीरेन्द्र सिंह

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Faridabad News, 21 Nov 2018 : केन्द्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने देश में किसानों की स्थिति को बदलने के लिए कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के उपयोग से ही किसानों की दशा सुधरेगी और इस क्षेत्र में अनुसंधान व नवाचार को प्रोत्साहित करना होगा।
केन्द्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह आज जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए फरीदाबाद में आयोजित ‘सर छोटूराम यादगार व्याख्यान’ में ‘किसानों की समस्याएं एवं उनके समाधान’ विषय पर बोल रहे थे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जाने-माने इतिहासकार डॉ. के.सी. यादव रहे तथा अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय चेतना शक्ति फाउंडेशन फरीदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। सत्र का संयोजन डॉ. दिव्यज्योति सिंह तथा डॉ. सोनिया बंसल द्वारा किया गया।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र की बदहाली का प्रमुख कारण सामाजिक विषमता भी है। जिन समस्याओं के लिए देश का किसान आजादी से पहले जूझ रहा था, उस स्थिति में आज भी ज्यादा बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि सर छोटूराम ने किसानों की आय सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की पहल की थी, जबकि इससे पहले किसानों की आय के निर्धारण का कोई मापदंड नहीं था।
किसान की आय की तुलना शिक्षा क्षेत्र में वेतनमानों से करते हुए बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में वेतनमान जिस अनुपात में बढ़े है, यदि उसी अनुपात में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ता तो आज यह 1840 रुपये प्रति क्विंटन न होकर 6500 रुपये प्रति क्विंटल होता। इसका मुख्य कारण विभिन्न व्यवसायों में आय निर्धारण को लेकर भारी विषमता है। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन में पाया गया है कि देश में कृषक परिवार से संबंध रखने वाले 20 करोड़ युवा कृषि को अपना व्यवसाय नहीं बनाना चाहते क्योंकि उनकी प्राथमिकताएं बदल रही है। उन्होंने कहा कि समाज की यह विषमता देश की उन्नति के लिए बड़ी बाधा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कई सार्थक प्रयास किये है, जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी शामिल है। किसानों की फसलों को आपदा से सुरक्षित बनाने के लिए सरकारी बीमा कंपनियों को साथ लेकर योजना की शुरूआत की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार की इस पहल से किसान को उसकी लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा मिलना सुनिश्चित होगा।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देश में लगभग 20 लाख करोड़ रुपये का फंड गैर महत्व के क्षेत्रों के लिए आरक्षित है, जिसका कहीं भी उपयोग नहीं हो रहा है। यदि इस फंड का उपयोग ग्रामीण विकास क्षेत्र के लिए किया जाता है तो इससे देश के 6 लाख से अधिक गांवों के विकास में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है।
व्याख्यान को संबोधित करते हुए इतिहासकार डॉ. के.सी. यादव किसानों की समस्याओं पर ऐतिहासिक संदर्भ में विचार रखे। उन्होंने कहा कि इतने आभावों के बावजूद मौजूदा समय में किसान आत्मविश्वास के साथ खड़ा है, तो इसका श्रेय सर छोटूराम को जाता है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले किसानों को सूदखोरों ने उबरने नहीं और अब सूदखोरों की जगह बैंकों ने ले ली है। उन्होंने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए छोटूराम सहकारी समितियों के पक्षधर थे और आज के संदर्भ में किसानों की आमदनी में सुधार के लिए सहकारी समितियों को ठीक से संचालित करने की आवश्यकता है। अपने वक्तव्य में उन्होंने कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीक को प्रोत्साहित करने, शहरों एवं गांवों के बीच विषमता को दूर करने तथा राजनीति में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि किसानों की समस्याओं के समाधान में इंजीनियर्स तथा तकनीकीविद भी अपनी अहम भूमिका निभा सकते है। उन्होंने इंजीनियरिंग विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे इंटरनेट आफ थिंग्स पर आधारित तकनीकों का उपयोग करते हुए किसानों की कृषि संबंधी ऐसी समस्याओं के समाधान ढूंढे, जो उनकी कृषि लागत को कम करने के साथ-साथ उनकी आमदनी को बढ़ाने में मदद करें।
सत्र के समापन पर कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने केन्द्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह को स्मृति चिह्न प्रदान किया। व्याख्यान सत्र भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए डॉ. सुखबीर सिंह जोकि राष्ट्रीय चेतना शक्ति फाउंडेशन फरीदाबाद के अध्यक्ष है, की देखरेख में संपन्न हुआ।

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