चमकौर की गढ़ी नाट्य का सफल मंचन

New Delhi News, 28 Nov 2018 : राईजिंग स्टार थियेटर गु्रप के बैनर तले सिक्खों के गुरूओं पर आधारित चमकौर की गढ़ी नाटक का मंचन दिल्ली स्थित मुक्ताधारा आडोटोरियम में किया गया। नाटक ‘चमकौर की गढ़ी’, गुरु इतिहास के 1704 से 1710 की कहानी पर आधारित है, गुरु इतिहास में इस समय बहुत बड़ी-बड़ी घटनाएं घटित हुई। इस नाटक की प्रस्तुति पूरी तरह भारतीय परिवेश और क्लासिकल स्टाइल में की गयी है। ये नाटक दर्शकों को अपने इतिहास, कौम और धर्म के बारे में बताती है। नाटक के दौरान सभी पात्रों का अभिनय बहुत ही सराहनीय रहा। मगर इनमें से भी ‘वज़ीर खाँ’ का किरदार निभा रहे सचिन गेरा और सिंह लड्की का किरदार निभा रही साक्षी रावत ने लोगो के दिलों को जीत लिया। साथ ही साथ जफ़र बेग (साहिल निझावन), दिलेर खान (जावेद मेहबूब खान) बेगम (कनिका शर्मा), अर्चेओलॉजिस्ट लड़की (निष्ठां शर्मा) और रूपचंद (देवेंद्र घोनिआ) ने भी अपनी कला का खूब प्रदर्शन किया।
फरीदाबाद से जावेद महबूब खान ने अदाकारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जैसा कि सभी को ज्ञात है कि जावेद महबूब खान संगीत की दुनिया में अपना काफी नाम फरीदाबाद जिले में कमा चुके हैं और अभिनय की दुनिया में इस नाटक के माध्यम से जावेद ने अपनी एक अलग पहचान बनाने में एक नया मुकाम हासिल किया है। जावेद ने खास बातचीत में बताया कि थियेटर में अभिनय करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, थियेटर जगत फिल्मी जगत की दुनिया से एक दम भिन्न है। यहां कोई अलग से मसाला नहीं होता अपितु मंच पर मंचन करने वाला कलाकार अपने अभिनय के बल पर लोगों के मन में नाटक के रंगों को भरता है।
किसी भी प्ले या नाटक को सफल बनाने में सबसे बड़ा योगदान उसके निर्देशक का होता है। ‘चमकौर की गढ़ी’ के निर्देशक रहे हरजीत सिंह सिद्धू। हरजीत सिंह सिद्धू 1975 में एनएसडी पास आउट हैं। इन्होने अपने आप में एक अद्भुत प्रयोग किया है, जिस दौर में इस तरह के ऐतिहासिक नाटकों का क्रेज खत्म हो रहा है, उस दौर में इस तरह के नाटक को मंच पर लाकर अपने आप में एक मिसाल पेश की है। दरअसल में ये नाटक पंजाबी में था, और उस नाटक को हिंदी रूप देने का भी पूरा का पूरा श्रेय इन्हीं हरजीत सिंह सिद्धू को जाता है।