प्रौद्योगिकीय चुनौतियों का सामना करने के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाना होगाः कुलपति प्रो. दिनेश कुमार

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Faridabad News, 08 Jan 2020 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए फरीदाबाद द्वारा फ्यूजन आफ साईंस एंड टैक्नाॅलोजी पर आयोजित 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईएसएफटी-2020) के तीसरे दिन संपन्न हुए तकनीकी सत्रों में कुल 156 शोध पत्र और 53 पोस्टर प्रस्तुत किये गये। सम्मेलन में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अलावा अमेरिका, साउथ कोरिया, फ्रांस, थाईलैंड, इटली, ईरान, जापान, जर्मनी, ईरान, नाइजीरिया, साउदी अरब तथा म्यांमार से भी प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है। सम्मेलन मुख्यतः अंतःविषय अनुसंधान पर केन्द्रित है और मुख्य चर्चा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में फ्यूजन द्वारा भविष्य की प्रौद्योगिकी तथा नये अनुसंधान पर रही।

सम्मेलन के तीसरे दिन समापन सत्र में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन (एनबीए) के चेयरमैन प्रो. के.के. अग्रवाल मुख्य अतिथि रहे। प्रो. के. के. अग्रवाल ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सफल आयोजन पर विश्वविद्यालय को बधाई दी तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकीय अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करने के विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की।

समापन सत्र में अपने अध्यक्षीय संबोधन में, कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने शोधकर्ताओं और तकनीकीविदों को तकनीकी चुनौतियों का सामना बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने और सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैश्विक समस्याओं के इनोवेटिव तथा प्रौद्योगिकीय समाधान खोजने की आवश्यकता पर बल दिया।

सत्र को हेक्सागन इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक प्रमोद कौशिक ने भी संबोधित किया। इससे पहले, कुलसचिव डॉ. एस. गर्ग ने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया और सम्मेलन के दौरान की गई कार्यवाही और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। सत्र के अंत में डाॅ. मनीष वशिष्ठ ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर टीईक्यूआईपी निदेशक डाॅ. विक्रम सिंह भी उपस्थित थे।

इससे पहले, तीसरे दिन आयोजित हुए दो प्लेनरी सत्रों में आठ आमंत्रित वक्ताओं ने सम्मेलन की विषयवस्तु पर अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र विचार प्रस्तुत किए। दिन के पहले प्लेनरी सत्र में, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ टेक्सास के डॉ. विक्टर प्राइब्यूटोक और डॉ. गेल एल. प्राइबटोक ने इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ (ई-हेल्थ) और मोबाइल हेल्थ (एम–हेल्थ) टूल्स पर चर्चा की और बताया कि इलेक्ट्राॅनिक एवं डिजिटल उपकरणों का उपयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार में कैसे किया जा सकता है और सभी के लिए सुलभ स्वास्थ्य जानकारी कैसे प्रदान हो सकती है।

लोरेन विश्वविद्यालय, फ्रांस के प्रो नौरेडिडाइन टाकोरबेट ने कम कार्बन उत्सर्जन के इलेक्ट्रिक विमान के डिजाइन पर चर्चा की। उन्होंने समझाया कि हाइड्रोलिक एक्ट्यूएटर्स को इलेक्ट्रिकल एक्ट्यूएटर्स से बदलकर कैसे आधुनिक विमानों में ऊर्जा की खपत को कम किया जा सकता है और उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने इलेक्ट्रिकल एक्ट्यूएटर्स की उच्च स्तरीय विश्वसनीयता और कॉम्पैक्टनेस के बारे में जानकारी दी, जो विमान इलेक्ट्रिकल एक्ट्यूएटर्स के लिए आवश्यक है।

सत्र के दौरान चर्चा के अन्य विषयों में इटली के कैलब्रिया युनिवर्सिटी से डॉ. नेपाट वाट्सएप ने बागवानी उद्योग के लिए एलईडी तकनीक तथा डॉ. स्टेफानो क्यूरिसो द्वारा अल्ट्राफिल्ट्रेशन प्रक्रिया पर बहु-स्तरीय मॉडल की जानकारी दी। इस सत्र की अध्यक्षता गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। समापन टिप्पणी में, प्रो. टंकेश्वर कुमार ने शिक्षाविदों के शोध कार्य की सराहना की और कहा कि सत्र में ऊर्जा संसाधनों के श्रेष्ठ उपयोग तथा ई-स्वास्थ्य सेवाओं पर बात की गई जो आधुनिक समय की आवश्यकता है।

इसी तरह, दिन के दूसरे प्लेनरी सत्र में, युनिवर्सिटी आफ नाॅर्थ टेक्सास से प्रो माइकल मोंटिकिनो, इटली की युनिवर्सिटी आफ कैलाब्रिया से डॉ. सुदीप चक्रवर्ती, ईएनईए रिसर्च सेंटर ट्रिसिया, इटली से डॉ. विनोद कुमार शर्मा, युनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी, कोलंबिया से प्रो. संजीव खन्ना और बॉन-राइन-सीग यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज, जर्मनी से वुल्फगैंग बोरुट्स्की ने सम्मेलन की विषयवस्तु से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपनी विशेषज्ञता वाले क्षेत्र पर विचार प्रस्तुत किए। इस सत्र की अध्यक्षता गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. मारकंडेय अहूजा ने की।

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