पार्टी कार्यकताओं ने सुशील गुप्ता के साथ किसानों को बांटा खाने का सामान

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New Delhi News, 02 Dec 2020 : आम आदमी पार्टी के सांसद व हरियाणा के सहप्रभारी डा सुशील गुप्ता आज दूसरे दिन भी हरियाणा के टिकरी बाॅर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल हो उनका हौसला बढाया। सुशील गुप्ता ने वहां बैठे किसानों से व्यक्तिगतौर पर मिले और उन्हें खाने का सामान भी मुहैया करवाया। इस दौरान उन्होंने किसानों को बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को कह दिया है कि दिल्ली में कोई भी किसान भूखा नहीं सोएगा। उसके लिए खाने का पूरा इंतजाम दिल्ली की तरफ से किया जा रहा है।

सांसद सुशील गुप्ता सुबह करीब 12 बजे टिकरी बाॅर्डर पर भारी संख्या में बैठे किसानों के बीच मोटर साइकिल से पहुंचें। क्योंकि बाॅर्डर पर किसी भी गाडी को आने जाने की अनुमति नहीं थी। ऐसी स्थिति में पार्टी के एक कार्यकर्ता की मोटर साइकिल पर सांसद सुशील गुप्ता आंदोलनकारियों के बीच शामिल हुए। यहीं नहीं वह खूद पैदल चलकर बाॅर्डर पर किसानों के टैंटों में गए ओर उनका हालचाल भी पूछा।
सुशील गुप्ता ने कहा कि अगर हरियाणा और पंजाब सरकार पहले ही किसानों से बातचीत कर लेती तो आज ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं होती। वहीं केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार कड़ाके की ठंड में देश के कोने-कोने से आकर दिल्ली बाॅर्डर पर बैठे हजारों किसानों से इन काले कानूनों के मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं है। वह उनको बातचीत के लिए बुलाते है, मगर फामूला नहीं बताते।

सुशील गुप्ता ने कहा कि वह भी एक किसान के बेटे रहें है। आज पूरे देश का किसान अपने घरों, गांवो और खेतों को छोड़कर दिल्ली कूच कर रहा है। क्योंकि केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ने किसान विरोधी काले कानूनों को पास किया है। पंजाब, हरियाणा का किसान दिल्ली में पिछले कई दिनों से सडको पर बैठा हुआ है।

उन्होंने कहा जब केन्द्र सरकार इन तीन काले कानून को ला रहा था तब केन्द्र की उस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शामिल थे। उन्होंने तक इसका विरोध नहीं किया, आज वह किसानों के हितैषी हो रहें है। उनको दोहरा चरित्र सामने आ रहा है।

उन्होंने कहा कि वार्ता में परिणाम ना निकलने के कारण खूद प्रधानमंत्री को इस मामले को देखना चाहिए। क्योंकि मंत्रालय के अधिकारियों व उनके नेताओं के बयानों से किसानों को संतुष्टि नहीं मिलने वाली। प्रधानमंत्री किसानों से बात करें और उनको भरोसे में लेकर उनकी समस्या का निवारण करें, ताकि किसान अपने घरो को लौट सके।

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