जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में विज्ञान सम्मेलन-2022 का आयोजन

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फरीदाबाद, 28 नवम्बर – जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आज एक दिवसीय विज्ञान सम्मेलन-2022 का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हरियाणा स्टेट काउंसिल फॉर साइंस, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी द्वारा प्रायोजित किया गया था।

उद्घाटन सत्र में नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के निदेशक प्रो. अमिताव पात्रा उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रहे, जबकि सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग, डीन साइंसेज डॉ. नीतू गुप्ता सहित विभिन्न शिक्षण विभागों के अध्यक्ष उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के पारंपरिक उद्घाटन समारोह के साथ हुई, इसके बाद कार्यक्रम की संयोजक डॉ. सोनिया बंसल द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी और संगोष्ठी के विषयवस्तु पर प्रकाश डाला।

अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने कहा कि विज्ञान में प्रगति अलगाव में रहकर नहीं हासिल की जा सकती। ज्ञान का प्रसार जरूरी है। इसलिए, शैक्षिक संस्थानों को आपसी ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में कार्य संस्कृति ऐसी होती है कि यह छात्रों किसी न किसी तरह सीख देती है। उन्होंने जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की लंबी विरासत पर प्रकाश डाला और कहा कि जगदीश चंद्र बोस भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने अंतःविषय क्षेत्र में काम किया और आधुनिक विज्ञान में उनका योगदान अतुलनीय है। उन्होंने छात्रों से जे.सी. बोस जैसे महान वैज्ञानिकों के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. अमिताव पात्रा ने सीवी रमन, जेसी बोस और श्रीनिवास रामानुजन सहित प्रमुख भारतीय वैज्ञानिकों का उदाहरण दिया और कहा कि इन वैज्ञानिकों ने विज्ञान में तब उत्कृष्टता हासिल की जब देश में कोई शोध संस्थान नहीं था। उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालयों में अनुसंधान के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा है और यह विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बुनियादी ढांचे और युवा प्रतिभाओं का सर्वोत्तम उपयोग करें। उन्होंने सफल जीवन के मंत्र के रूप में 5‘डी’ – ‘ड्रीम’, ‘डायरेक्शन’, ‘डिजायर’, ‘डिसिप्लिन’ और ‘डिटर्मिनेशन’ पर चर्चा की।
अंत में भौतिकी विभाग की अध्यक्षा डॉ. अनुराधा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। विज्ञान सम्मेलन के दौरान तकनीकी सत्रों में पांच विशेषज्ञ व्याख्यान भी आयोजित किए गए, जिन्हें डीआरडीओ, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ कुलदीप गोयल, वाईएमसीए मॉब से डॉ. योगेंद्र पाल सिंह, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक डॉ. अरविंद रानाडे, आयुष मंत्रालय के आचरण एवं पंजीकरण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ राकेश शर्मा तथा जे.सी. बोस विश्वविद्यालय से डॉ. अनुराग गौड़ ने संबोधित किया।

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