April 20, 2025

महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में की गई महागौरी की विशेष पूजा, कंजक पूजन भी हुआ

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Faridabad News : नवरात्रों के आठवें दिन सिद्धपीठ महारानी श्री वैष्णोदेवी मंदिर में भगवती दुर्गा के आठवें स्वरुप मां महागौरी की भव्य पूजा की गई। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने प्रातकालीन पूजा का शुभारंभ करवाया। इस अवसर पर मंदिर में कंजक बिठाई गई और सभी ने उनका अशीर्वाद ग्रहण किया। इस अवसर पर मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि महाष्टमी को महादुर्गाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. महाअष्टमी दुर्गा पूजा के महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। नौ दिनों के इस पर्व में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। महाअष्टमी वाले दिन मां गौरी की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा पाठ और विशेषतौर पर कन्या पूजन किया जाता है।

नौ रातों का समूह यानी नवरात्रे की शुरुआत अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पहली यानी 21 तारीख सितंबर से हो चुकी है और 30 सितंबर दशमी वाले दिन ये पूर्ण होंगे। सबसे पहले भगवान रामचंद्र ने समुद्र के किनारे नौ दिन तक दुर्गा मां का पूजन किया था और इसके बाद लंका की तरफ प्रस्थान किया था. फिर उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी, इसलिए दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि धर्म की अधर्म पर जीत, सत्य की असत्य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं। मां दुर्गा नवरात्रि के दौरान कैलाश छोड़कर धरती पर आकर रहती हैं।

अष्टमी के व्रत की विधि
अष्टमी यानी दुर्गा अष्टमी के दिन कई लोग अपना व्रत पूर्ण करते हैं और अंत में छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और उन्हें घर बुलाकर उन्हें भोजन करवाकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना गया है। कन्याओं के पूजन के बाद ही नौ दिन के बाद व्रत खोला जाता है. व्रत को पूर्ण करने और मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए कन्याओं का अष्टमी और नवमी के दिन पूजन करना आवश्यक होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 28 सितंबर 2017 शुक्रवार को है. इस दिन सात दिन उपवास करने वाले अपना व्रत खोलते हैं और कन्याओं का पूजन करते हैं।

पूजा अर्चना के अवसर पर मंदिर में सागर रत्तरा, विक्की रत्तरा, ओमप्रकाश भाटिया, नरेश शर्मा, जोगिंद्र सब्बरवाल, प्रदीप, आदित्य, धीरज पुंजानी, राजीव शर्मा, फकीरचंद कथूरिया, कांशीराम, प्रताप भाटिया, गिर्राजदत्त गौड़ एवं विकास खत्री उपस्थित थे।

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