Faridabad News : वैष्णोदेवी मंदिर में नवरात्रों के पांचवें दिन आज मां स्कंदमाता की भव्य पूजा अर्चना की गई। मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को मां स्कंदमाता कहा जाता है। देवी का यह स्वरूप नारी शक्ति और मातृ शाक्ति का सजीव चित्रण है। वीरवार को मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने मंदिर में प्रातकालीन पूजा अर्चना का शुभारंभ करवाया एवं मां स्कंद की भव्य अराधना करवाई।
मंदिर में मां स्कंद की पूजा करने वाले भक्तों का तांता लगा रहा। पूजा अर्चना के अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने श्रद्धालुओं के बीच बताया कि स्कंदकुमार की माता होने के चलते देवी के इस पांचवें स्वरूप का नाम स्कंदमाता पड़ा। उन्होंने बताया कि गणेश जी देवी के मानस पुत्र हैं और कार्तिकेय जी गर्भ उत्पन्न।
तारकासुर को वरदान था कि वह शंकर जी के शुक्र से उत्पन्न पुत्र द्वारा ही मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। इसी कारण देवी पार्वती का शंकर जी से मंगल परिणय हुआ। इससे कार्तिकेय पैदा हुए और तारकासुर का वध हुआ। शंकर-पार्वती के मांगलिक मिलन को सनातन संस्कृति में विवाह परंपराक ा प्रारँभ माना गया। कन्यादान, गर्भ धारण इन सभी की उत्पत्ति शिव और पार्वती प्रसंगोपरांत हुई। श्री भाटिया के अनुसार जो भी ाक्त सच्चे मन से मां स्कंदमाता की अराधना करते हैं उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है।
इस अवसर पर मंदिर में पूजा अर्चना मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया के साथ पूजा अर्चना में प्रताप भाटिया, गिर्राजदत्त गौड, फकीरचंद कथूरिया, राजकुमार, सुरेंद्र गेरा, नरेश मदान, सुरेंद्र झांब, प्रदीप खत्री, नवीन, प्रीतम, अनिल ग्रोवर एवं ललित गुप्ता भी शामिल रहे।